चेतन और रेनु की मोहब्बत (College की लव स्टोरी)
चेतन अग्निहोत्री और रेनु सिंह, दो नाम जो कभी एक-दूसरे के बिना अधूरे थे। यह कहानी एक छोटे से कॉलेज की है, जहां दोनों पहली बार मिले थे। चेतन एक साधारण लड़का था, जो बहुत शर्मीला और चुप था।
रेनु, जो खुद में एक आत्मविश्वासी और जिंदादिल लड़की थी, हमेशा कॉलेज की भीड़ में एक चमक सी लगती थी। वह हर किसी से हंसकर बात करती थी, लेकिन उसकी आँखों में कुछ खास था—कुछ ऐसा जो चेतन को हमेशा खींचता था।
कॉलेज के पहले दिन से ही चेतन की नजर रेनु पर पड़ी थी। वह रेनु को कभी खुलकर बात करने का मौका नहीं पा सका। लेकिन दिल के कोने में एक छोटा सा सपना हमेशा पलता रहा—क्या वह कभी रेनु से प्यार का इज़हार कर पाएगा?
रेनु भी चेतन के बारे में कुछ सोचती थी, लेकिन उसने कभी इस बात का इज़हार नहीं किया। उसे पता था कि चेतन एक शर्मीला लड़का है, और शायद वह भी उसे पसंद करता होगा। लेकिन दोनों में से कोई भी एक कदम बढ़ाने का साहस नहीं जुटा पाया।
कॉलेज के दिनों में, रेनु को कई बार मुश्किलें आईं। एक बार, उसके कुछ नोट्स खो गए थे और वह पूरी तरह से घबराई हुई थी। वह दिन था जब चेतन ने उसका हाथ थामा। उसने रेनु की मदद की, और उसे यकीन दिलाया कि वह हमेशा उसके साथ है। रेनु को चेतन के इस छोटे से समर्थन ने अजीब सा एहसास दिलाया—यह तो सिर्फ दोस्ती नहीं, कुछ और था। लेकिन फिर भी, दोनों चुप थे, अपनी भावनाओं को छुपाए हुए।
समय बीतता गया, और दोनों की जिंदगी में बहुत कुछ बदला। कॉलेज के आखिरी दिन, जब सभी छात्र अपना-अपना सामान समेट रहे थे, चेतन एक पुराने कैन्टीन के टेबल पर बैठा था। वहीं उसे एक पुरानी कार्ड मिली—रेनु सिंह का कॉलेज आईडी। वह कार्ड देखते हुए उसके मन में कुछ अजीब सा ख्याल आया। क्या यह किसी संकेत था? क्या यह मौका था उसे अपनी भावनाओं का इज़हार करने का?
कैन्टीन में बिखरी हुई आवाज़ों के बीच, चेतन का दिल धड़क रहा था। उसने सोचा, “अगर मैं अब रेनु से बात नहीं करता, तो शायद यह मौका कभी नहीं आएगा।” उसने वह आईडी उठाई और रेनु को ढूंढने की कोशिश की। लेकिन वह कहीं नहीं मिली। अंत में, उसे यह सोचकर कॉलेज छोड़ना पड़ा, कि शायद यह उनका आखिरी मिलन था।
पाँच साल बाद
पाँच सालों तक, चेतन और रेनु दोनों एक-दूसरे से दूर रहे। दोनों ने अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश की, लेकिन एक-दूसरे के बिना कुछ कमी सी महसूस होती थी। चेतन का दिल हमेशा रेनु के बारे में सोचता रहा, और रेनु भी कभी-कभी अपनी कॉलेज की यादों में खो जाती थी।
एक दिन, जब चेतन एक बड़ी कंपनी में काम कर रहा था, अचानक उसे अपने पुराने कॉलेज के बारे में सोचा। वह वहाँ कुछ पुरानी चीज़ें ढूँढने गया। और यहीं पर उसे रेनु का कॉलेज आईडी फिर से मिल गया। वह कार्ड देखकर उसकी आँखों में आंसू थे। यह कार्ड उसे रेनु से जुड़ी हर याद दिला रहा था, हर वो लम्हा, जब उसने रेनु को मदद दी थी, जब उसने महसूस किया था कि वह रेनु के बिना अधूरा है।
चेतन ने फिर से रेनु को ढूंढने का फैसला किया। उसने सोशल मीडिया पर उसे खोजा और उसकी प्रोफाइल पर जाकर संदेश भेजा। रेनु ने तुरन्त उत्तर दिया। जैसे ही उनका संवाद शुरू हुआ, ऐसा लगा जैसे वक्त वापस लौट आया हो। दोनों ने एक-दूसरे से अपनी पुरानी बातें कीं, और धीरे-धीरे उनके बीच की दूरी खत्म होती चली गई।
रेनु ने चेतन को बताया, “मैं भी तुम्हें हमेशा याद करती थी। मुझे हमेशा लगता था कि तुम मुझसे कुछ कहना चाहते थे, लेकिन तुमने कभी कहा नहीं।” चेतन की आँखों में गहरी उदासी थी, लेकिन अब वह पूरी तरह से तैयार था। उसने कहा, “रेनु, मुझे कभी अपनी भावनाओं का इज़हार करने का मौका नहीं मिला। लेकिन अब, मुझे तुमसे यह कहना है कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।”
रेनु की आँखों में आंसू थे, लेकिन वह मुस्कुराई और बोली, “मुझे भी तुमसे बहुत प्यार था, चेतन। शायद हम दोनों को वक्त ने एक दूसरे से मिलने का मौका दिया।”
चेतन और रेनु की मोहब्बत (यह होती है सच्ची मोहब्बत)
यह कहानी सिर्फ एक इत्तेफाक नहीं थी। यह प्यार था, जो वक्त के साथ परिपक्व हुआ और आखिरकार दोनों को फिर से मिलवाया। चेतन और रेनु का प्यार अब मजबूत था, क्योंकि उन्होंने अपने दिलों की बात कही थी।
उन्होंने एक-दूसरे के लिए अपने डर, अपनी शर्म और अपने संकोच को पार किया था। इस तरह, प्यार ने उन्हें फिर से जोड़ दिया, और उनका सफर अब हमेशा के लिए एक साथ था।